औषधीय गुण वाले प्रतिबंधित अर्जुन पेड़ की अवैध कटाई

औषधीय गुण होने की वजह से शासन ने अर्जुन (कहुआ) वृक्ष की कटाई पर प्रतिबंध लगा दिया है।

बालोद जिले के गुण्डरदेही क्षेत्र में इस पेड़ की अवैध रूप से धड़ल्ले से कटाई हो रही है।

पुनीत राम सेन (पत्रकार)

बालोद। औषधि गुण होने की वजह से शासन ने अर्जुन (कहुआ) वृक्ष की कटाई पर प्रतिबंध लगा दिया है। बावजूद इसके बालोद जिले के गुण्डरदेही क्षेत्र में इस पेड़ की अवैध रूप से धड़ल्ले से कटाई हो रही है। लकड़ी तस्कर बेखौफ होकर इस प्रतिबंधित पेड़ की कटाई कर अवैध परिवहन कर रहे हैं। वहीं बालोद वन मंडल के अंतर्गत उड़नदस्ता दल बल की कमी का रोना रोते हुए तस्करों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पा रहा है।

बालोद वन मंडल के अंतर्गत सैकड़ों पेडो की कटाई और तस्करी हो चुकी है। पर उड़नदस्ता ने अभी तक केवल खानापूर्ति करने की कार्रवाई हुई है। उन मुख्य तस्करों तक हाथ नहीं पहुंचे हैं, जिनके इशारे पर इन पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाई जा रही है। प्रतिबंधित पेड़ होने की वजह से आरा मिलों और प्लाई फैक्ट्री में महंगे दाम पर बिक्री करते हैं। यही वजह है कि कहुआ लकड़ी से बने फर्नीचर बाजार में बहुत महंगे दाम पर बिकते हैं। चिकना और लंबाई के साथ सीधा होने की वजह से इससे मनचाहे फनींचर तैयार कर सकते हैं। इस वजह से इसकी ग्राहकों में मांग ज्यादा है।

भिलाई क्षेत्र में भी जंगल नहीं होने के कारण फनींचर और प्लाईवुड फैक्ट्री चलाने वाले लकड़ी माफिया गुण्डरदेही क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों से कहुआ सहित अन्य बेशकीमती पेड़ों को अवैध रूप से कटाई कराकर मंगाते हैं। आसपास के सभी जिलों से ज्यादा दुर्ग जिले के भिलाई में फर्नीचर मार्ट संचालित है। यही वजह है कि लकड़ी तस्कर ग्रामीणों को झांसे में लेकर पेड़ की अवैध कटाई कर आसानी से रातों रात पार कर देते हैं। गुण्डरदेही क्षेत्र के ग्राम साजा, परसोदा, देवरी, गोरगापार, परसाही व सकरौद में कहुआ के पेड़ो की अवैध कटाई खूब हो रही है। इन गांवों में तस्करों ने एजेंट सक्रिय कर रखा है जो कि भोले-भाले ग्रामीणों को एक पेड़ के पीछे बहुत ही मामूली सी रकम हजार, दो हजार रुपए थमाकर उन्हें ठग लेते है।